नीमकाथाना/उदयपुरवाटी। शिक्षा के अधिकार कानून के बावजूद निजी स्कूलों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। ताज़ा मामला नीमकाथाना क्षेत्र का है, जहां पिता की मृत्यु के बाद आर्थिक संकट झेल रहे दो मासूम बच्चों को सरस्वती सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सराय (उदयपुरवाटी) ने ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) देने से मना कर दिया है।
परिवार की दयनीय स्थिति के कारण बच्चों के चाचा ने उन्हें निःशुल्क शिक्षा हेतु ग्राम कोटड़ा स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में दाखिला दिलाने की पहल की, लेकिन वहां प्रवेश के लिए टीसी आवश्यक होने पर अड़चन आ गई। निजी विद्यालय प्रशासन ने शेष फीस जमा करवाने का दबाव डालते हुए टीसी जारी करने से स्पष्ट इनकार कर दिया।
पिता की मौत के बाद टूटा सहारा
पीड़ित छात्र हर्षित जाखड़ (कक्षा 9वीं) व उनकी बहन विनीता (कक्षा 6वीं) के पिता स्व. शिवराम जाखड़ का निधन हो चुका है। पिता ही परिवार के एकमात्र आय का सहारा थे। उनके निधन के बाद परिवार गहन आर्थिक संकट में है। दिव्यांग चाचा बच्चों का पालन-पोषण किसी तरह कर रहे हैं।
प्रशासन तक पहुंची शिकायत, फिर भी कार्रवाई ठप
हर्षित जाखड़ ने बताया कि उन्होंने इस मामले में सहायक जिला कलेक्टर को लिखित शिकायत दी थी, जिस पर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को जांच के आदेश भी दिए गए। लेकिन खेद है कि अधिकारी ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। इससे उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवमानना भी झलकती है।
जिला कलेक्टर से न्याय की गुहार
बच्चों ने जिला कलेक्टर सीकर को प्रार्थना पत्र देकर मांग की है कि विद्यालय को तत्काल प्रभाव से टीसी जारी करने का आदेश दिया जाए।
शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन करने पर विद्यालय प्रशासन के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की लापरवाही पर विभागीय जांच हो। उनकी शिक्षा बिना बाधा जारी रखने हेतु त्वरित हस्तक्षेप किया जाए।
शिक्षा के अधिकार पर सवाल
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब संविधान और शिक्षा का अधिकार अधिनियम प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और बाधारहित शिक्षा का अधिकार देता है, तो निजी विद्यालय किस आधार पर बच्चों की पढ़ाई रोकने और भविष्य से खिलवाड़ करने का दुस्साहस कर रहे हैं।




