नीमकाथाना परिचय

नीमकाथाना मध्यकाल में निंबार्क संप्रदाय का मुख्य स्थान रहा है। निंबार्क (नीम का ) स्थल /थान (रहने का स्थान) से नीमकाथाना शब्द बना है। वर्तमान में भी नागा स्वामी की छोटी व बड़ी जमात नामक छावनी क्षेत्र मे मोहल्ले हैं। स्वतंत्रता से पूर्व नीमकाथाना तोरावाटी निजामती तथा भूतपूर्व जयपुर राज्य की सवाई रामगढ़ तहसील का मुख्यालय था।

नीमकाथाना जिले का मुख्यालय छावनी के नाम से जाना जाता है। छावनी की स्थापना इंडियन सरकार द्वारा 1834ई. में शेखावाटी ब्रिगेड की गठन के पश्चात की गई। पहले छावनी का मूल नाम सवाई रामगढ़ था। सवाई रामगढ़ में जयपुर राज्य भी नागा छावनी की दो जमाते पूर्व में स्थापित थी। 15 अक्टूबर 1949 ई.17 वीं शताब्दी में स्थापित सीकर जिले में  भूतपूर्व जयपुर राज्य का नीम का थाना क्षेत्र सम्मिलित किया गया।

पश्चिमी रेलवे की फुलेरा रेवाड़ी कॉर्ड लाइन का निर्माण 1899 ई.में हुआ। 1 अप्रैल 1950 इसवी तक बी. बी. एंड सी. आई. रेलवे रेवाड़ी फुलेरा कॉर्ड लाइन नीमकाथाना उपखंड में कार्यरत थी। 1951 से उत्तर पश्चिमी भारत रेलवे में परिवर्तित कर दिया।

17 मार्च 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा नीमकाथाना को जिला घोषित किया गया था। जिसका 7 अगस्त 2023 को औपचारिक उद्धघाटन कर मानचित्र पर अंकित किया गया। जिला सीकर एवं जिला झुंझुनू का पुनर्गठन कर नीमकाथाना को नए जिले का सवरूप दिया गया।

नीम का थाना जिले में चार उपखण्ड हैं - 1. नीम का थाना 2. श्रीमाधोपुर 3. खेतड़ी 4. उदयपुरवाटी । नवगठित जिले नीम का थाना की प्रथम जिला कलेक्टर श्रीमती श्रुति भारद्वाज एवं प्रथम पुलिस अधीक्षक श्री अनिल बेनीवाल बने।

नीमकाथाना अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

➧ नीमकाथाना नगरपालिका की स्थापना 1945 में भूतपूर्व जयपुर राज्य की सरकार द्वारा की गई। प्रारंभ में अध्यक्ष और सदस्य सरकार द्वारा मनोनीत होते थे। 1951 में नीमकाथाना के नागरिकों को व्यस्क मताधिकार दिया गया।

➧ 1959 ईस्वी में पंचायत समिति नीमकाथाना का गठन हुआ। इसी वर्ष ग्राम पंचायतों का भी चुनाव संपन्न हुआ।

➧ 1982 में नीमकाथाना के प्रथम विधायक श्री कपिलदेव मोदी निर्वाचित हुए।

➧ सेठ नंदकिशोर पटवारी राजकीय महाविद्यालय की स्थापना जुलाई 1966 ईस्वी में हुई तथा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ के.एम. गुप्ता नियुक्त किए गए।

➧ तोरावाटी क्षेत्र का नाम तँवर तोमर राजपूतों के अधिपत्य के कारण तोरावाटी पड़ा है। तोरावाटी क्षेत्र में सीकर जिले की नीमकाथाना तहसील तथा जयपुर जिले की कोटपूतली तहसील का क्षेत्र सम्मानित किया जाता है।

➧ 975 ईस्वी में हम्मीरदेव तोमर द्वारा पाटन की स्थापना की गई। तोरावाटी की प्रथम राजधानी वर्तमान में बैवा पाटन के नाम से जानी जाती है। मध्यकाल से लेकर 1947 तक पाटन राजधानी रही।

➧ राजस्थान राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के भूतपूर्व निदेशक श्री आर. सी. अग्रवाल एवं विजय कुमार के नेतृत्व में 1978 से 1988 के मध्य उत्खनन हुआ।  जिसमें सोहनपुर डोकन से चित्रित चित्रशैलाश्रय गणेश्वर संस्कृति से संबंधित होने के प्रमाण मिले हैं।

➧ उगरावाली ढाणी (गुहाला) से लगभग 230  कपमार्क्स चटानों पर अवशेष मिले हैं। जो लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व के माने जाते है। नीमकाथाना तहसील से 11 किमी दूर गणेश्वर में ताम्र पाषाण संस्कृति के अवशेष उत्खनन में मिले है।   नीमकाथाना के निकट कांतली नदी के उद्गम स्थल पर ताम्रयुगीन सभ्यता के अवशेष मिले है।

➧ गणेश्वर, हरिपुरा, नरसिंहपुर एवं प्रीतमपुरी से लघु पाषाण उपकरण मिले हैं।  सुनारी झुंझुनू से भी उत्खनन में लाल रंग के मृदपात्र काले एवं लाल रंग की मृदपात्रो के साथ साथ बौद्ध प्रतीक चिन्ह भी मिले हैं। बालेश्वर मंदिर से 10 वीं शताब्दी का अभिलेख मिला है।

➧ 24 अक्टूबर 1995 को नीमकाथाना में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। इसके अध्ययन हेतु विश्व के वैज्ञानिको द्वारा यहाँ शोध केंद्र बनाया गया।

➧ सन 1776 ई. में मावंडा-माकड़ी में जयपुर व भरतपुर रियासतों के मध्य युद्ध लड़ा गया। जिसमें भरतपुर के शासक को पराजित होना पड़ा। माकड़ी फाटक से 2 किमी दूर युद्ध के स्थान पर रणभूमि में युद्ध वीरो पर छतरियाँ बनवाई गई थी। जो आज भी इस घटना का साक्ष्य बनी हुई हैं। 1790 ई. में मराठा सरदारों तथा जयपुर मारवाड़ राजपूत शासकों के मध्य पाटन में युद्ध लड़ा गया।

➧ राजकीय संस्कृत विद्यालय नीमकाथाना की स्थापना 1948 में हुई।

➧ राजकीय कपिल चिकित्सालय नीम का थाना की स्थापना 28 जून 1968 ई. को की गई।

➧ स्थानीय मान्यता है कि जहीर खां को जिस चौकी पर इंचार्ज बनाया गया था। उसे वर्तमान में जीर की चौकी के नाम से जाना जाता है।

➧ स्वतंत्रता से पूर्व नीमकाथाना में जलघड़ी का प्रचलन था।

2011 की जनगणना के अनुसार नीमकाथाना की कुल जनसंख्या 3,99,911 है। पुरूष हिस्सा 71.87% एवं महिलाएँ। 48.31 % हैं। नीमकाथाना की साक्षरता दर 67% है जो राष्ट्रीय औसत 59.5% से कुछ अधिक है जिसमें पुरुष साक्षरता 77% एवं महिला साक्षरता 56% है। नीमकाथाना में कुल 58,707 लोग 6 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं। नीमकाथाना नगर की जनसंख्या 36,231 है।

नीमकाथाना जिले के उपखण्ड का संक्षिप्त विवरण:-

1. श्रीमाधोपुर:

इस शहर की स्थापना 18वीं शताब्दी में जयपुर राजा मानसिंहजी के दीवान कुशली राम बोहरा ने की थी। श्रीमाधोपुर का नाम सवाई माधो सिंह के नाम पर रखा गया था। कपड़े और बर्तनों के व्यापार के लिए प्रसिद्ध रहा है। गोपीनाथ मंदिर और गेहूं बाजार के लिए जाना जाता है।

2. खेतड़ी:

आजादी से पहले राजा खेत सिंह निर्वाण के नाम पर इसका नाम खेतड़ी रखा गया। खेतड़ी के राजा अजीत सिंह ने स्वामी विवेकानन्द को शिकागो धर्म सम्मेलन में भेजने की व्यवस्था की। स्वामी विवेकानन्द को राजस्थान की गर्म हवाओं से बचाने के लिए अजीत सिंह को पगड़ी पहनाई गई। तांबा विदेशों से आयात किया जाता था। खेतड़ी ने तांबे के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाया। हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, भारत सरकार का एक सार्वजनिक उपक्रम स्थित है। सुखमहल, बेजोड़ वास्तुकला का प्रतीक रघुनाथ मंदिर, पन्नालाल शाह का तालाब, अजीत सागर रामकृष्ण मिशन, स्वामी विवेकानन्द संग्रहालय स्थित है। संत रामेश्वरदास की तपोभूमि बसई गांव में स्थित है।

3. उदयपुरवाटी:

हर्ष मशीनरी के अनुसार इसका प्राचीन नाम उदारभट्टिका था। किसान आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास बना हुआ है। मनसा माता शक्ति पृष्णि अरावली में स्थित है। जोधपुरा सुनारी ताम्रयुगीन जनजाति के आदिवासियों के लिए प्रसिद्ध है। शाकंभरी माता का मंदिर और कोट बांध सूकावाटी तहसील मुख्यालय से 15 किमी की दूरी पर स्थित हैं।

नीमकाथाना एक दृष्टि में

देश: भारत

राज्य: राजस्थान

जिला: नीम का थाना

संभाग: सीकर संभाग

उपखंड: नीम का थाना, श्रीमाधोपुर, उदयपुरवाटी, खेतड़ी

तहसील: नीम का थाना, पाटन, श्रीमाधोपुर, खेतड़ी, उदयपुरवाटी

शासन

 • विधायक: सुरेश मोदी

 • प्रथम जिला कलेक्टर: श्रुति भारद्वाज

क्षेत्रफल

 • कुल 3031.25 किमी2 (1,170.37 वर्गमील)

ऊँचाई: 446 मी (1,463 फीट)

नदियाँ: कांतली नदी प्रीतमपुरी व खंडेला की पहाड़ियों से निकल कर झुंझनू में अन्तर्निहित हो जाती है। कांतली नदी खंडेला के निकट प्रीतमपुरी झील का निर्माण करती है। इसका बहाव क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है। साती और सोटा नामक नदियाँ नीमकाथाना की पूर्वी पहाड़ियों से शुरू होती हैं, और कोटपुतली की तरफ बहती है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान...

सेठ नन्द किशोर पटवारी पीजी महाविद्यालय, 1966 से

कमला मोदी सरकारी महिला महाविद्यालय

अरावली पॉलीटेक्निक महाविद्यालय

प्रभा एजुकेशन कॉलेज

सरकारी संस्कृत विद्यालय

सरस्वती एजुकेशन ग्रुप

वर्दा कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन

विवेकानंद स्कूल ऑफ़ एजुकेशन

सरोज मेमोरियल महाविद्यालय

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