खातेदारी भूमि में फर्जीयत दस्तावेजों से पट्टा जारी करने पर एसीबी में मामला दर्ज

Jkpublisher
0


पालिका क्षेत्र नीमकाथाना में करीब एक हजार करोड़ से ऊपर का है मामला 


नीमकाथाना। पालिका क्षेत्र नीमकाथाना में खातेदारी भूमि में फर्जीयत दस्तावेजों से पट्टे जारी करने पर एसीबी महानिदेशक बीएल सोनी के यहां उपस्थित होकर मामला दर्ज करवाया। खसरा नंबर 741 राजस्व ग्राम नीमकाथाना के हरद्वारीलाल ने जानकारी देते हुए बताया कि मेरे पिता गुमाना राम जाट आजाद हिंद फौज में कार्यरत थे। जिन्होंने आजादी से पूर्व जागीरदारी हुकूमत सन 1943 में अपने नाम से कास्त करने वास्ते जमीन खरीदी थी। सन 1943 से लेकर सन 1967 तक मेरे पिता गुमाना राम जाट निविर्वाद रूप से कब्जा कास्त होकर उक्त भूमि में लगातार खेती कार्य किया। सन 1967 में गुमाना राम जाट की मृत्यु होने पर उनकी एकमात्र वारिस मालिकाना हक उक्त खातेदारी हरद्वारी लाल के नाम दर्ज हुई, जो आज दिनांक तक उक्त भूमि राजस्व रिकॉर्ड में इंद्राज है। उक्त भूमि सन 1943 से सन 1959 तक खसरा नंबर 741 रकबा 15 बीघा 9 बिस्वा संपूर्ण जमीन की खातेदारी काश्तकारी गुमाना राम के नाम दर्ज रही। सन 1959 में बिना किसी समुचित रिकॉर्ड के एक बीघा 10 बिस्वा भूमि गजानंद महाजन कन्हैया लाल शर्मा के नाम तथा 2 बीघा भूमि ओंकारमल किरोड़ी मल के नाम खातेदारी दर्ज कर दी। शेष रकबा 11 बीघा 19 बिस्वा भूमि गुमाना राम जाट के नाम रिकॉर्ड शेष बची। सन 1961 में पालिका नीम का थाना द्वारा आबादी विस्तार हेतु राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया। जिसमें खसरा नंबर 741 भी शामिल किया गया था। सन 1963 में वगैर बटवारा नामा डिक्री के उक्त भूमि 741 की जमाबंदी में तीन खसरो में नंबर दर्ज किए गए। खसरा नंबर 741/1 रकबा 11 बीघा 19 बिस्वा खातेदार गुमाना राम जाट, खसरा नंबर 741/2 रकबा 1 बीघा 10 बिस्वा, खातेदार गजानंद कन्हैया लाल खसरा नंबर 703/3  बीघा खातेदार ओंकारमल गजानंद का नक्शा ट्रेस में नहीं किया गया। आबादी विस्तार बाबत अधिग्रहण की प्रक्रिया सन 1963 से उपखंड कार्यालय नीमकाथाना में चली। उक्त अवार्ड पारित की कार्यवाही दरमियान अवैध तरीके से 6 बीघा 5 बिस्वा भूमि के नोटिफिकेशन के बावजूद संपूर्ण रकबा की अवाप्त कार्यवाही चली। जिस पर अवार्ड दिनांक 7/10/1969 को पारित किया गया। उस समय उक्त अधिग्रहण के समय भी खातेदार गुमाना राम जाट की सहमति से नहीं हुआ तथा अवार्ड किसी भी खातेदार को नहीं मिला। विधि विरुद्ध पारित अवार्ड के विरुद्ध उच्च न्यायालय जयपुर में उक्त खसरे की सह खातेदार किरोड़ीमल द्वारा रिट याचिका सन 1971 में दायर की गई। जिस पर उच्च न्यायालय ने दिनांक 9/3/1979 को पारित अवार्ड आदेश व राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को निरस्त कर भूमि निरंतर रूप से खातेदार हरद्वारी लाल व खातेदार के नाम रिकॉर्ड दर्ज रही। सन 1968 में खसरा नंबर 741/1 रकबा 11 बीघा 19 बिस्वा गुमाना राम जाट की बजाय मेरे नाम हरिद्वारी लाल जाट के स्वीकार हुई। सन 1982 में बिना किसी रिकॉर्ड के तथा बगैर अवार्ड कार्यवाही के उक्त भूमि में से 3 बीघा 2 बिस्वा भूमि पीडब्ल्यूडी विभाग के नाम रिकॉर्ड में दर्ज कर उक्त खसरा नंबर 741/1/1 में शेष रकबा 8 बीघा 17 बिस्वा का बटा नंबर 741/1/2 मेरे नाम रिकॉर्ड दर्ज की गई। सन 2000 में उक्त भूमि खसरा नंबर 741/1/2 रकबा 2.23 हेक्टेयर कि बगैर विक्रय विलेख इकरारनामा संपादित किए अवैध तरीके से सुमोटो आधार पर 90बी की कार्यवाही प्रारंभ की गई। जिस पर 19/10/2000 को जारी नोटिस पर मैं दिनांक 12/12/ 2000 को जवाब में स्वयं लिखित जवाब के साथ उपखंड अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर उक्त भूमि मेरी खातेदारी भूमि के 90बी की कार्यवाही नहीं करने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर आपत्ति दर्ज करवाई गई। इसके बाद तत्कालीन पालिका अध्यक्ष व अन्य भू माफियाओं द्वारा मिलकर राजनीतिक प्रभाव से तबादला करा कर अपने चहेते उपखंड अधिकारी आनंद कुमार बैराठी व तहसीलदार को प्रभाव व लालच में लेकर अनाधिकृत रूप से वगैर विक्रय विलेख इकरारनामा के उक्त खातेदारी भूमि को खुर्द बुर्द करने वास्ते उक्त खातेदारी अधिकार का हित पर्यवसन व 90बी करवाने हेतु नए सिरे से आवेदन प्रस्तुत किया। जिस पर उपखंड अधिकारी ने अनाधिकृत रूप से कार्यवाही प्रारंभ की गई। जिस पर मैंने सन 2001 में आपत्ति दर्ज कराई। लेकिन उपखंड अधिकारी ने मेरी आपत्ति वगैर निस्तारण किए 90बी का आदेश पारित किया गया। खसरा नंबर 741/1/2 नगर पालिका नीम का थाना के नाम दर्ज की गई। जिसकी मैंने अजमेर राजस्व मंडल में निगरानी याचिका दायर की  जिस पर विद्वान अधिवक्ताओ के सबूत एवं राजस्व रिकॉर्ड अनुसार संपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत करने पर 01/10/2020 को उक्त आदेश के अपास्त कर दिया गया एवं संबंधित प्राधिकृत अधिकारी को इस मामले में उन्हें सुना जा कर निर्णय निर्णित करने का आदेश जारी किया गया। खसरा नंबर 741/1/2 मैं से पालिका प्रशासन से मिलीभगत कर श्याम लाल सैनी सीताराम सैनी द्वारा निहित स्वार्थी आसाराम चेजारा के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी इकरारनामा तैयार कर चौथमल सैनी ने पालिका से फर्जीयत पट्टा प्राप्त कर लिया गया। इसके बाद श्याम लाल सैनी ने भी निर्भीक होकर षडयंत्र पूर्वक फर्जीयत दस्तावेज सलंग्न कर उप पंजीयन अधिकारी से सांठगांठ कर एक बैनामा भी रजिस्टर्ड करवाया गया। वहीं उक्त भूमि में मथुरा प्रसाद संघी, अमरचंद संघी व अपने परिवार के लोगों के पालिका प्रशासन से मिलीभगत कर फर्जी पट्टे जारी करवा लिए। खातेदार हरद्वारीलाल जाट व परिजनों ने उक्त भूमि को विक्रय नहीं किया। पालिका प्रशासन ने उक्त भूमि को नजूली भूमि मानकर कमला देवी पत्नी महावीर प्रसाद अग्रवाल के नाम से भी पट्टा जारी कर दिया। वहीं अवाप्तशुदा मानकर डाक तार विभाग को भूमि आवंटित कर दी गई।  उक्त भूमि को पालिका प्रशासन कई प्रकार की मान रही है। उक्त भूमि बैश कीमती होने के कारण एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा पालिका प्रशासन व राजनेतिक वर्चस्व होने के कारण फर्जीयत पट्टे जारी कर दिए। जिससे उक्त भूमि को खुर्द बुर्द कर दिया गया। जिससे भारी भ्रष्ट्राचार फैल गया। प्रकरण में भ्रष्टाचार में लिप्त आरोपियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने की मांग की।

Post a Comment

0Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)
Neemkathana News

नीमकाथाना न्यूज़.इन

नीमकाथाना का पहला विश्वसनीय डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म..नीमकाथाना, खेतड़ी, पाटन, उदयपुरवाटी, श्रीमाधोपुर की ख़बरों के लिए बनें रहे हमारे साथ...


#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !