गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री और सम्पूर्ण पूजन विधि

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वर्ष भर भर में पड़ने वाली चतुर्थियों में आज के दिन मनाई जाने वाली चतुर्थी को सबसे बड़ी चतुर्थी माना जाता है। आज ही के दिन 'बप्‍पा' के भक्‍त गणपति श्रद्धा से पूजन करते हैं। वैसे तो साल भर में पड़ने वाली किसी भी चतुर्थी को गणपति जी का पूजन और उपासना करने से घर में संपन्‍नता, समृद्धि, सौभाग्य और धन का समावेश होता है। मगर हिन्दू शास्त्रों में आज की चतुर्थी के दिन किए गए व्रत और पूजन से प्राप्त होने वाले फल का विशेष महत्व बतलाया गया है।

जानिये, घर पर कैसे करें गणेश चतुर्थी पूजन
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गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री और सम्पूर्ण पूजन विधि

आइए जानते हैं कैसे करें गणेश चतुर्थी पूजन

गणेश जी की मूर्ति को चतुर्थी से पहले अपने घर पर लाएं है तो गणेश मूर्ति को एक कपड़े से ढककर लाना चाहिए और पूजा के दिन मूर्ति स्‍थापना के समय ही इसे हटाना चाहिए। गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म मूहर्त में उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर शुद्ध कपड़े पहनें। आज के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना अति शुभ होता है।

गणेश चतुर्थी के इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की प्रतिमा को घर लाना सबसे पवित्र समझा जाता है। जब आप बप्‍पा की मूर्ति को घर लाएं, उससे पहले इन चीजों को तैयारका इंतजाम कर लें।

पूजा के लिए जरूरी सामग्री - गणपति की मूर्ति को घर में स्‍थापित करने के समय सभी विधि विधान के अलावा जिन सामग्री की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं। जैसे लाल फूल, दूर्वा, मोदक, नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्‍ती।

गणेश चतुर्थी पूजन विधि 

गणपति का पूजन शुद्ध आसन पर बैठकर अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ करके पंचामृत से श्री गणेश को स्नान कराएं तत्पश्चात केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती करें। गणपति बप्पा मूर्ति की पूजा करने के लिए सबसे पहले आप एक आरती की थाली में अगरबत्‍ती-धूप जलाकर पान के पत्‍ते और सुपारी को भी इसमें रखें। इस दौरान 'ऊं गं गणपतये नम:' मन्त्र का जाप करें। इसके बाद गणपति की आरती करें।

संध्या के समय गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेश जी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें। अंत में गणेश मंत्र ' ऊं गणेशाय नम:' अथवा 'ऊं गं गणपतये नम: का अपनी श्रद्धा के अनुसार जाप करें।उनको मोदक के लड्डू अर्पित करें। उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। श्री गणेश जी का श्री स्वरूप ईशाण कोण में स्थापित करें और उनका श्री मुख पश्चिम की ओर रहे।

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 गणेशजी की आरती 


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जा की पार्वती, पिता महादेवा ॥ जय गणेश देवा...

एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी ।।

अन्धन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।। जय गणेश देवा...

पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥


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आज के दिन किया जाने वाला विशेष काम

भगवान गणेश अपने भक्तों के समस्त कठिनाइयों को दूर करने के लिए आने वाले विघ्नों के मार्ग में विकट स्वरूप धारण करके खड़े हो जाते हैं। अपने घर, दुकान, फैक्टरी आदि के मुख्य द्वार के ऊपर तथा ठीक उसकी पीठ पर अंदर की ओर गणेश जी का स्वरूप अथवा चि‍‍त्रपट जरूर लगाएं। ऐसा करने से गणेश जी कभी भी आपके घर, दुकान अथवा फैक्टरी की दहलीज पार नहीं करेंगे तथा आपके पास सदैव सुख-समृद्धि बनी रहेगी। कोई भी नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर पाएगी।

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