अगर आप भी रखते हैं आधार कार्ड तो जरूर पढ़ें ये खबर।

0
आधार कार्ड को अब चुनौती दी गई है। आधार कार्ड के खिलाफ याचिका दायर करने वाले का मानना है की हमें अपनी प्राइवेसी का अधिकार है और हम अपनी जानकारी किसी और को क्यों दे। आधार कार्ड बनाने वाली निजी कंपनियां हमारी आधार कार्ड के नाम पर सारी जानकारी इकठ्ठा कर रही  हैं। इस मुद्दे पर पहले तो कोर्ट ने सुनवाई करने से मना कर दिया था लेकिन अब प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट माना जाना चाहिए या नहीं, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू कर दी है। बेंच ने बुधवार को कहा कि राइट टू प्राइवेसी ऐब्सलूट राइट (पूर्ण अधिकार) नहीं है। राज्य वाजिब वजह होने पर इसको कंट्रोल कर सकता है। आधार कार्ड के इस मामले पर सरकार, कोर्ट और याचिका करता की अपनी अपनी दलीलें हैं।

आधार कार्ड
                                                      source- google images

चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने केंद्र से कहा कि हमें ये जानने में मदद करें कि राइट टू प्राइवेसी की ऐसी कौन सी रूपरेखा और परखने का दायरा है, जिसके आधार पर राइट टू प्राइवेसी की सीमाओं और उसके उल्लंघन को सरकार ने परखा हो। इस पर कोर्ट ने कहा, "हम डाटा के युग में रह रहे हैं और राज्य को ये अधिकार है कि क्राइम के खिलाफ कानून, टैक्सेशन और दूसरे कामों के लिए इस डाटा का इस्तेमाल कर सके।'

यहाँ पर हम आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की कॉन्स्टीट्यूशनल बेंच ने इन पर सुनवाई के दौरान जानना चाहा कि प्राइवेसी फंडामेंटल राइट है या नहीं। यह तय करने के लिए 9 जजों की कॉन्स्टीट्यूशनल बेंच बनाई गई है। मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी। सरकार की योजनाओं को आधार से जोड़ने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 22 पीटीशंस दायर हैं। चुनौती का ग्राउंड प्राइवेसी के हक को खत्म किया जाना है।

राइट टू प्राइवेसी को पूर्ण ना मानने की असली वजह क्या?

सीनियर वकील गोपाल सुब्रमण्यम एक पिटीशनर की तरफ से कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कहा- राइट टू प्राइवेसी समानता और स्वतंत्रता का मामला है और ये सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है। ये नैचुरल राइट भी है, इसकी इजाजत हमें संविधान भी देता है। इसमें राज्य दखल नहीं दे सकता। स्वतंत्रता के बिना समानता का अनुभव कोई कैसे कर सकता है? इस मामले पर कोर्ट की और से कहा गया कि - राइट टू प्राइवेसी को इसलिए पूर्ण नहीं माना जा सकता क्योंकि अगर ऐसा हो जाता है तो राज्य कानून भी नहीं बना सकेगा और इसे रेग्युलेट नहीं कर सकेगा।

अगर कोई बैंक से लोन मांगता तो वो वहां ये नहीं कह सकता कि वो जानकारी नहीं देगा क्योंकि ये जानकारी कोर्ट ने अपनी और से पक्ष रखा कि बेडरूम आपके प्राइवेसी के दायरे में हो सकता है लेकिन बच्चा किस स्कूल में जाएगा? ये तो आपकी च्वॉइस का मामला हुआ।

दरअसल, आधार के लिए बायोमेट्रिक रिकॉर्ड लिए जाने को पिटीशनर प्राइवेसी के लिए खतरा बता रहे हैं। 

Post a Comment

0Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)
Neemkathana News

नीमकाथाना न्यूज़.इन

नीमकाथाना का पहला विश्वसनीय डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म..नीमकाथाना, खेतड़ी, पाटन, उदयपुरवाटी, श्रीमाधोपुर की ख़बरों के लिए बनें रहे हमारे साथ...


#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !