2 साल के बच्चे को महिला बता रही अपनी सं तान पुरुष कह रहा-मेरा बेटा, डीएनए टेस्ट से होगा फैसला

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बच्चा 2 महीने पहलेमिला था नीमकाथाना केडाबला रेलवेस्टेशन पर 
➧ बच्चे पर दावा करनेवाले महिला-पुरुष नहीं पेश कर पाए दस्तावेज

नीमकाथाना न्यूज़- यह कहानी नीमकाथाना के डाबला रेलवे स्टेशन पर मिले दो साल के “शौर्य’ की है। यह नाम उसे बाल कल्याण समिति ने दिया है। एक महिला व एक व्यक्ति ने इस बालक को अपना लापता बेटा बताकर सीकर के बाल कल्याण समिति में आवेदन पेश किए हैं। दोनों ही दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सके हैं, जिससे यह तय हो सके कि बच्चा किसका है।
दो साल का बालक शौर्य
व्यक्ति का दावा है कि यह बच्चा उसकी दूसरी पत्नी का है, इसलिए वह बच्चा उसे नहीं जानता, बल्कि अपनी मां को जानता है। इसी तरह महिला ने दावा किया कि यह बच्चा उसके पहले पति से है। पुलिस असली माता-पिता का पता लगाने के लिए पहले उत्तरप्रदेश जाएगी। क्योंकि-महिला का दावा है कि शौर्य उसके पहले पति की संतान है। महिला व पुरुष दोनों ही कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं।

पुलिस को उत्तरप्रदेश में भी कुछ नहीं मिलता है तो डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। बालक का असली नाम भी अभी पता नहीं है। इसलिए बाल कल्याण समिति ने इसका नाम शौर्य रखा है।

फिल्मी लग रही इस कहानी की शुरुआत दो महीने पहले हुई। जीआरपी को डाबला रेलवे स्टेशन पर गुमसुम बैठा दो साल का बालक मिला। पुलिस ने उससे उसके माता- पिता व अन्य परिजनों के बारे में पूछा, लेकिन वह कुछ नहीं बता सका। बाद में जीआरपी ने उसे चाइल्डलाइन को सुपुर्द कर दिया। यहां से बालक को पालन-पोषण के लिए जयपुर स्थित राजकीय शिशु गृह भेज दिया गया है।

इन्हीं दो महीने में एक महिला व एक व्यक्ति इसे अपना खोया हुआ बेटा बता चुके हैं। अधिकारियों ने दोनों से बालक की गुमशुदगी होने व परिजन होने के दस्तावेज मांगे, लेकिन दोनों ही दस्तावेज नहीं दे सके। दिलचस्प यह है कि दोनों महिला-पुरुष एक दूसरे को जानते भी नहीं है।

दोनों की कहानी भी अलग हैं। बाल कल्याण समिति अध्यक्ष रतनलाल मिश्रा का कहना है कि मामले में पुलिस से जांच कराई जा रही है। इसके बाद भी बच्चे के परिवार के बारे में पता नहीं चलता है तो बच्चे का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा।

दोनों ने 1 महीने नहीं ली खबर, अखबार में विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद पहुचा

व्यक्ति का दावा - बच्चा दूसरी पत्नी का इसलिए नहीं पहचाना

अखबार में विज्ञापन के दो-तीन दिन बाद एक व्यक्ति दो तीन जनों के साथ समिति के पास पहुंचा। उसने दावा किया कि यह बालक उसका बेटा है। व्यक्ति ने दावा किया कि बच्चा उसकी दूसरी पत्नी का है, इसलिए उसे नहीं जानता। अपनी मां को पहचानता है। बाल कल्याण समिति ने बालक के संबंध में दस्तावेज मांगे तो उसने कहा कि वह लेकर आ जाएगा, लेकिन वह दस्तावेज लेकर नहीं आया।

महिला का दावा - बच्चा पहले पति का इसलिए नहीं पहचाना

इस व्यक्ति के जाने के करीब तीन-चार दिन बाद एक महिला बाल कल्याण समिति के पास पहुंची। इसके साथ भी करीब तीन-चार लोग थे। महिला ने बताया कि यह बालक उसका बेटा है। उसने दूसरे व्यक्ति से शादी कर ली। यह उसके पति का बेटा है। बाल कल्याण समिति ने महिला से बालक के संबंध मेंदस्तावेज मांगे। उसने दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा, लेकिन अब तक नहीं दिए।

दोनों ने 1 महीने नहीं ली खबर, अखबार में विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद पहुंचे

बाल कल्याण समिति अध्यक्ष रतनलाल मिश्रा ने बताया कि 10 अक्टूबर 2017 को एक व्यक्ति को डाबला स्टेशन पर दो साल का बालक मिला। व्यक्ति ने नीमकाथाना जीआरपी को बालक को सौंप दिया। करीब एक महीने पर बाल कल्याण समिति अपने स्तर पर बालक के परिजनों की तलाश करती रही, लेकिन जब परिजन नहीं मिले तब आठ नवंबर को अखबारों में विज्ञापन केजरिए सूचना प्रकाशित कराई।

बालक को अपना बेटा बताने वाले महिला व पुरुष ने नीमकाथाना में पुलिस को बालक की कोई गुमशुदगी की रिपोर्ट नहीं दी। दोनों नेबताया कि वह ट्रेन में जा रहे थे। तभी जल्दबाजी में यह बच्चा ट्रेन में रह गया। पूछा गया कि आपने बालक की गुमशुदगी के बारे में पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी तो दोनों ने बताया कि वह अपने स्तर पर बालक की तलाश कर रहे थे। इसलिए पुलिस को सूचना नहीं दे सके। अखबारों में विज्ञापन देखने के बाद उन्हें मालूम चला कि उनका बेटा शिशुगृह में है।

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