किसान आन्दोलन का फैसला 10 दिन में ही हो जाता लेकिन भाजपा के मंत्रियो को सिर्फ राजनीति

0
सीकर: प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन के अंतर्गत तीन दिन चक्काजाम के बाद गुरुवार को शहर ने अपनी रफ्तार पकड़ी । कई स्कूल-कॉलेज भी तीन बाद खुल सके। शहर में लागु धारा 144 को भी हटा दिया गया।

किसान आन्दोलन का फैसला 10 दिन में ही हो जाता लेकिन भाजपा के मंत्रियो को राजनीति करनी थी


 इधर, 11 मांगों पर सरकार से सहमति और किसानों का 50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ किए जाने के कमेटी के गठन की घोषणा को लेकर किसानों ने गुरुवार को कृषि उपज मंडी में एक सभा का आयोजन कर जश्न मनाया।

सभा में अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमराराम ने किसानों को सम्बोधित कर कहा कि 1990 और 2008 में केंद्र सरकार ने किसानों का कर्जा माफ किया था। 70 साल में राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसानों ने आंदाेलन कर 50 हजार रुपए का कर्जा माफ करवाया है।

विपक्ष में बैठी 34 विधायकों वाली कांग्रेस ने 13 दिन तक आवाज भी नहीं की जबकि 161 विधायकों वाली पार्टी के घनश्याम तिवाड़ी ने जयपुर में हमें समर्थन दिया। महापड़ाव के 10वें दिन ही समझौता हो जाता लेकिन बीजेपी, आरएसएस और कुछ मंत्रियों व विधायकों का सरकार पर आंतरिक दबाव था।

भाजपा के मंत्रियो ने की राजनीती

भाजपा के मंत्री और विधायक व आरएसएस इस बात के लिए तैयार नहीं थे किसानों से वार्ता की जाए। इसलिए 10 सितंबर को प्रभारी मंत्री रिणवां से वार्ताके बावजूद देर रात तक किसान सभा को उलझन में रखा और वार्ता के लिए जयपुर नहीं बुलाया।

ये नहीं चाहते थे कि किसान सभा की वजह से कर्ज माफी सहित 11 मांगें मानी जाए, क्योंकि पार्टी के मंत्रियों, विधायकों और आरएसएस के कई संगठनों ने इन मांगों को डेढ़ से दो साल पहले सरकार के समक्ष रख दिया था लेकिन उनकी एक भी मांग पूरी नहीं की थी। जब 8-9 जिलों में आंदोलन छिड़ा और चक्काजाम हुआ तो सरकार को हमारी बात माननी पड़ी।

भाजपा की इच्छा कि मुद्दा हमारे हाथ से ना निकल जाए

भाजपा नहीं चाहती थी कि मुद्‌दा हाथ से निकल जाए। इसलिए विपक्षी दलों की बैठक से पहले बुधवार देर रात तक वार्ताकर 50 हजार तक कर्ज माफी के लिए कमेटी की घोषणा कर दी। कांग्रेस बिजली के बाद एक बार फिर कर्ज माफी के मुद्दे पर किसानों को खुद से नहीं जोड़ पाई।

आगामी विधानसभा चुनाव में कर्ज माफी सबसे बड़ा मुद्दा बन सकता है। जो फिलहाल कांग्रेस के हाथ से फिसल चुका है। कांग्रेस के हाथ से दूसरा बड़ा मुद्दा निकल गया। इससे पहले कांग्रेस ने 22 फरवरी को आंदोलन का एलान किया था।

इससे पहले ही अखिल भारतीय किसान सभा ने दो फरवरी को बिजली को लेकर बड़ा आंदोलन किया। इसके बाद सरकार ने 18 फरवरी को बढ़ी दरों का फैसला वापस ले लिया। इसी तरफ कर्ज माफी सहित अन्य मांगों को लेकर कांग्रेस ने 17 जून को सभा व प्रदर्शन की घोषणा की। लेकिन माकपा ने एक दिन पहले 16 को प्रदर्शन तय किया। मजबूरन कांग्रेस को 14 जून को प्रदेश स्तरीय आंदोलन करना पड़ा।

किसानों ने बनाया चारो तरफ से दबाव 

  • विपक्षी दलों की मीटिंग : 15 राजनीतिक संगठनों की गुरुवार को जयपुर में मीटिंग हुई। सरकार विपक्षी पार्टियों के हाथों में किसानों का मुद्दा नहीं जाने देना चाहती थी।
  • किसानों का गुस्सा : सांवराद की घटना से नाराज राजपूत समाज, मांगों को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश के बाद सरकार किसानों को नाराज नहीं करना चाहती थी।
  • आरएसएस प्रमुख का दौरा : जयपुर में बुधवार-गुरुवार को मोहन भागवत का दौरा था। किसानों केपक्ष में फैसला ताकि, किसान विरोधी सरकार की छवि केंद्र तक नहीं पहुंचे। {जनता की परेशानी : तीन दिन चक्का जाम से शेखावाटी सहित छह जिलों में आवागमन ठप हो गया। जनता के बीच सरकार की छवि बिगड़ने लगी।
अब सरकार के सामने ये दो बड़ी चुनौतीयाँ

  • किसान संघ की नाराजगी को दूर करना : आरएसएस से जुड़े लोग सरकार से नाराज हैं। इस फैसले से किसान संघ की नाराजगी और बढ़ेगी। क्योंकि किसानों की मांगों को लेकर संघ ने भी पक्ष रखा था। लेकिन सरकार ने सिर्फ आश्वासन दिया। उसे लागू नहीं किया।
  • चुनावों में मुद्देको कैसे भुनाए : विधानसभा चुनाव से करीब डेढ़ साल पहले सरकार ने किसानों का 50 हजार तक का कर्ज माफी की मंशा जाहिर कर दी। सरकार के सामने बड़ी चुनौती यह है कि चुनावों में इसे कैसे भुनाएं। क्योंकि सुराज संकल्प यात्रा में भी कर्ज माफी का वादा किया था।

Post a Comment

0Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)
Neemkathana News

नीमकाथाना न्यूज़.इन

नीमकाथाना का पहला विश्वसनीय डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म..नीमकाथाना, खेतड़ी, पाटन, उदयपुरवाटी, श्रीमाधोपुर की ख़बरों के लिए बनें रहे हमारे साथ...


#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !