दस साल की बच्ची बनी माँ, सगे मामा ने ही बनाया अपनी हवस का शिकार

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देश में पहली बार ऐसा हुआ है जब 10 साल की बच्ची मां बन गई है ये माँ उन सभी नार्मल औरतो से अलग है । इसने एक नन्ही से परी सामान बेटी को जन्म दिया है। वहीं दूसरी तरफ इस बच्चे को लेकर जच्चा के पिता ने एक बड़ा फैसला सुनाया है।

दस साल की बच्ची बनी माँ, सगे मामा ने ही बनाया अपनी हवस का शिकार
source- google images

आज सवेरे यानी 17 अगस्त को बच्ची की डिलीवरी दिल्ली के सेक्टर 32 स्थित मेडिकल कालेज में सुबह नौ बजे उसके सिजेरियन करने से हुई ।

डॉकटरो के मुताबिक जच्चा-बच्चा दोनों ही पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हैं। इस मौके पर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अभी जच्चा-बच्चा को एक हफ्ते की विशेष निगरानी में रखा जाएगा। यह अपने आप में पहली बार है जब दस वर्षीय बच्ची मां बनी हो। गौरतलब है कि इससे पहले 12 साल की बच्ची ने पी.जी.आई में एक बच्चे को जन्म दिया था।

जच्चा के पिता ने किया बड़ा फैसला

वहीं जच्चा के पिता ने कहा कि वह बच्चे की शक्ल तक नहीं देखना चाहता। उसने मेडिकल कॉलेज को पत्र लिखा कि वह इस बच्चे को स्वीकार नहीं करता और आप ही इसे गोद लेलें। क्योंकि उसको अपनी बेटी के भविष्य की चिंता है।

वैसे भी इस बारे में प्रशासन की ओर से पहले ही इत्तला कर दिया गया था कि यदि पैरेंट़्स बच्चे को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं तो वे बच्चे के गोद लेने की प्रक्रिया की ओर कदम बढ़ाएंगे।

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आखिर क्या है मामला

13 जुलाई 2017 को 10 साल की बच्ची के पेट में अचानक दर्द होने पर परिजन उसे अस्पताल लेकर गए। वहां पर मेडिकल जांच के बाद पता चला कि बच्ची के पेट में सात माह से ज्यादा का भूर्ण पल रहा है। परिजनों भी सकते में आ गए और तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी।

पुलिस ने बच्ची का बयान दर्ज किया जिसमें बच्ची ने बताया कि उसके ही मामा कुल बहादुर ने उसके साथ कई बार गलत काम किया। फिर पुलिस ने बच्ची के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आरोपी मामा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

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सुप्रीमकोर्ट ने गर्भ गिराने से मना कर दिया था

10 साल की बच्ची का गर्भ गिराने के लिए उसके परिजन ने जिला अदालत और सुप्रीमकोर्ट में याचिका लगाई गई। जिला अदालत ने मामले पर वकालत कर गर्भपात से इंकार कर दिया। इस पर परिजन सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दी। सुप्रीमकोर्ट ने गर्भ गिराने से पहले पी.जी.आई से जाँच रिपोर्ट मांगी।

पी.जी.आई ने अपनी जाँच रिपोर्ट में बताया कि अगर 29 हफ्ते पहले बच्ची का गर्भ गिराया जाता है तो इससे  बच्ची और उसके बच्चे की जान पर खतरा है। इस हालत में बच्ची की डिलीवरी कराना ही जच्चा-बच्चा दोनों के के लिए सुरक्षित तरीका रहेगा। रिपोर्ट को आधार मानकर सुप्रीमकोर्ट ने भी बच्ची का गर्भ गिराने से मना कर दिया था। 

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