स्पेशल रिपोर्ट: घुघाड़ी धाम! संरक्षण के अभाव में धार्मिक स्थान नष्ट हो रहे हैं; युवा पीढ़ी आगे आकर संरक्षण करें: संत अवध बिहारी दास महाराज

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घुघाड़ी धाम में भव्य हनुमान जन्मोत्सव मनाया गया, हजारों की संख्या में भक्तों ने महाप्रसादी ग्रहण की

बाल रूप में विराजित हनुमान जी का किया गया अलौकिक शृंगार, 56 भोग की झांकी सजाई

आश्रम तक सुगम रास्ता नहीं होने पर भक्तों ने जताई व्यथा, कहा: अरजन जसा ही फरजन

स्पेशल रिपोर्ट:इंद्राज योगी......
नीमकाथाना। नजदीकी ग्राम महावा के प्राचीन पावन घुघाड़ी धाम में बड़ी धूमधाम के साथ भव्य हनुमान जन्मोत्सव मनाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्तों ने राम झरोखे के समीप ही बाल स्वरूप में विराजित भगवान हनुमान जी के दर्शन कर पुण्य लाभ कमाया। अरावली पर्वतमाला और रेत के पहाड़ों के समान ऊंचे टीलों के मध्य स्थित घुघाडी धाम में भक्त पैदल निशान लेकर पहुंचे।
धाम में यह कार्यक्रम संपन्न हुए
घुघाड़ी धाम के महंत अवध बिहारी दास महाराज ने बताया कि हनुमान जन्मोत्सव पर घुघाड़ी धाम में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम भिन्न-भिन्न दिवस पर आयोजित किए गए। गत सोमवार को प्रातः ही अखंड राम चरित् मानस का पाठ व पंच कुंडात्मक हवन किया गया। वहीं मंगलवार को श्याम मंदिर बालाजी महावा से घुघाड़ी धाम तक निशान यात्रा निकाली गई। निशान यात्रा डीजे के साथ संगीतरूप से निकाली गई, जिसमें सभी 211 भक्त निशान लेकर घुघाड़ी धाम पहुंचे। दोपहर को भगवान हनुमान जी का अभिषेक कर सहस्त्रार्चन भव्य आरती की गई। बधाई गान महोत्सव के बाद महाप्रसाद आरंभ किया गया, जहां बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।

संतो की तपोभूमि घुघाड़ी धाम
पहाड़ी व रेतीले धोरों के संगम के बीच स्थित पवित्र घुघाड़ी धाम आश्रम आज से ठीक 650 वर्ष पहले राम रतन महाराज के तपोबल व योग साधना से चर्चा में आया था। ऊंची पहाड़ी पर एकांत में तप साधना से प्राप्त अलौकिक शक्तियों से गुरु महाराज राम रतन जी आमजन के कष्ट निवारण करते थे। महाराज राम रतन दास जी की उम्र 362 वर्ष बतलाई गई है।

संत को भगवान राम ने दिए थे दर्शन 
मान्यता है कि घुघाड़ी धाम के संत दूधाधारी महाराज को पहाड़ी की तलहटी में भगवान राम ने दर्शन दिए थे। उसके बाद उक्त स्थान पर राम झरोखा का निर्माण किया गया। प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के दिन ही राम झरोखा के दर्शन भक्तों को करवाए जाते हैं, जहां भक्त अपनी मनौती मांगकर अर्जी लगाते हैं।

प्राकृतिक आवरण से घिरा है आश्रम
महावा से 2 किलोमीटर की दूरी पर अरावली की जीर्ण-शीर्ष पहाड़ियों व बालू रेत के सुंदर टीलों के बीच बसा घुघाड़ी धाम आश्रम हर एक भक्त का मन मोह लेता है। पहाड़ियों के बीच गुजरता रास्ता और रास्ते के एक तरफ रेतीले खाई प्रकृति के अद्भुत नजारे पेश करती है। प्राकृतिक आवरण से घिरे इस आश्रम के आंगन में 250 मोर, 500 कबूतर चुग्गा चुगते हैं वहीं सैकड़ो की संख्या में बंदर अठखेलियां करते हैं। यहां आश्रम की ओर से 24,000 से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं।

ऐसी है आश्रम की स्थापत्य संरचना 
650 वर्ष पूर्व अवस्थित पवित्र घुघाड़ी धाम में ऊंची पहाड़ी पर दूधाधारी महाराज की गुफा स्थित है। मान्यता है कि सप्ताह के प्रत्येक सातवें दिन महाराज भक्तों की पीड़ा हरने पहाड़ी के नीचे आते थे। पहाड़ी पर ही आश्रम के प्रथम संत राम रतन जी महाराज की समाधि है। पहाड़ी के तलहटी में उबड़-खाबड़ धरातल को समतल कर सत्संग भवन बनाया गया है। हजारों भक्त भजन गायको की सुमधुर ध्वनि का आनंद लेते हैं ।सत्संग भवन के पास ही संतों की समाधि स्थल विराजमान है वहीं नवनिर्माण स्थल के ठीक 84 सीढ़ियों के नीचे की तरफ जाने पर पवित्र प्राचीन धूणा स्थित है जिसकी चमत्कारिक भभूति के चर्चे देश विदेशों तक है। रामझरोखे के साथ ही हनुमान जी का मंदिर स्थित है।

विडंबना: आश्रम तक जाने का सुगम रास्ता तक नहीं
हनुमान जन्मोत्सव पर घुघाड़ी धाम को हजारों की संख्या में अलग-अलग वाहनों के माध्यम से भक्त पहुंचे। भक्तों की जुबान पर संतों के आशीर्वाद के बाद एक बात ही बार-बार सुनने को मिली। वह बात थी" सुगम रास्ते की व्यवस्था" करीब 40 वर्षों से महावा के कल्याण सिंह घुघाड़ी आश्रम आ रहे हैं। उनका कहना है कि प्राचीन पावन स्थल के संवर्धन को लेकर आज तक भी ठोस कदम नहीं उठाए गए। महावा लेकर घुघाड़ी धाम तक आने वाला रास्ता उबड़-खाबड़, कच्चा व खतरनाक है। दुपहिया वाहन दुर्गम रास्ते को पार करने में असक्षम से साबित होते नजर आते हैं। रास्ते के एक और ऊंचे पहाड़ है तो दूसरी और गहरी खाई है।

अपील: संस्कृति और प्रकृति हमारी सभ्यता की परिचायक: संत अवध बिहारी दास
जगद्गुरु रामचंद्राचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में दर्शन विषय पर पीएचडी के लिए शोधरत घुघाड़ी धाम के संत अवध बिहारी दास महाराज ने आश्रम के श्रद्धालुओं सहित आमजन से हनुमान जयंती के पावन पर्व पर अपील की। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने धार्मिक स्थान बनाए हैं उनका संरक्षण करना जरूरी है। संरक्षण के अभाव में धार्मिक स्थान नष्ट हो रहे हैं। उन्होंने को घुघाड़ी धाम में स्थित प्राचीन गौशाला को इंगित करते हुए कहा कि सहयोग की कमी व चारे की न के बराबर आपूर्ति के कारण सैकड़ो गायों की संख्या वाला गौशाला बंद की कगार पर है। वहीं राजनीतिक विद्वेष्ता व कूटरचित व्यवस्थाओं के कारण निर्माण स्वीकृति के बाद भी घुघाड़ी धाम आश्रम के लिए बनने वाला पक्का रास्ता आज भी अधरझुल की स्थिति में है। कई बार पक्के रास्ते को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया लेकिन अभी तक किए गए सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, संतों की बरसी जैसे अनेक कार्यक्रम आश्रम में आयोजित होते हैं। इस दौरान आश्रम में 40 से 50 हजार भक्त आते हैं। यहां ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, लंदन से भी भक्त आते है। संपूर्ण भारत के भिन्न प्रदेशों से श्रद्धालु धाम को पहुंचते है।

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