विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल की ओर से नेहरू पार्क में राष्ट्र चिंतन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें राष्ट्रीय विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने 'राष्ट्र, राष्ट्रीयता और चुनौतियां' विषय पर अनवरत 2 घंटे 40 मिनट के उद्घोषण में राष्ट्र और सनातन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को रखा।
उन्होंने कहा कि संगठन बनते हैं, बिगड़ते हैं, पार्टियां टूटती हैं और बिखरती रहती हैं, लेकिन राष्ट्र से ऊपर कोई नहीं है।
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने आगे कहा कि अपनी भूमिका व सामर्थ्य तय करें और पूरी शक्ति से उस काम को करें, यही सबसे बड़ा राष्ट्रवाद है।
उन्होंने सनातन के विज्ञान को बताते हुए सूर्य को जल चढ़ाने और पीपल का पूजन करने की बात करते हुए कहा कि जिंदा कौम अपना इतिहास नहीं भूलती अन्यथा इतिहास उन्हें भुला देता है।
1935 के भारतीय विधान की कार्बन कॉपी से संविधान बना
उन्होंने कहा ''आजाद होने के बाद भी गुलामी का इतिहास पढ़ाने से संस्थाएं गुलाम बनी रहती हैं. 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली, यह सबसे बड़ा झूठ है. भारत के या ब्रिटेन के किसी डॉक्युमेंट में नहीं लिखा कि भारत 1947 को आजाद हुआ. यह केवल ट्रांसफर ऑफ पॉवर था। उन्होंने कहा 1860 का अंग्रेजो का पुलिस एक्ट आज भी लागू है।
सनातन सभ्यता में जाति केवल कर्म प्रधान
कुलश्रेष्ठ ने बताया कि जिन्हें पुरुषार्थ पर भरोसा नहीं है, वे ही जाति का नाम लेकर सत्ता तक पहुंचना चाहते हैं।
जिस तरह सीमा पर तैनात देश के अलग अलग जाति के जवान हमारी रक्षा करते हैं वे क्षत्रिय कहलाते है, जो ज्ञान की प्राप्ति कर ले वह ब्राह्मण, जो प्राप्त ज्ञान को सत्य के साथ कहने की क्षमता रखता हो वह सबसे बड़ा ब्राह्मण है। इसी तरह ज्ञान के हिसाब से राजेंद्र प्रसाद व भीमराव अम्बेडकर सही मायने में असली ब्राह्मण ही हैं।
न्यायव्यवस्था में पेंडिग पड़े हैं करोड़ों केस
कुलश्रेष्ठ ने कहा कि 10 जजों ने माफिया के खिलाफ सुनवाई में , अपने आपको अलग कर लिया था। जजों पर किनका दबाव था इसका जवाब दें। राम का अस्तित्व था या नहीं इस पर बहस करने की बजाय 5 करोड़ केस पेंडिग पड़े हैं उन पर सुनवाई कर आमजन को न्याय दें।
कुलश्रेष्ठ ने वक्फ बोर्ड एक्ट, समलैंगिग विवाह, एक्शन डे जैसे चर्चित मुद्दो पर भी तथ्यात्मक जानकारी से आमजन को अवगत कराया।
इस दौरान गोगाड़ी धाम के संत बिहारीदास महाराज, साध्वी योग श्रीनाथ योगेश्वर महादेव पीठाधीश, आयोजक मनोज बंसिया, पूर्व राज्यमंत्री प्रेम सिंह बाजोर, विष्णु चेतानी, रघुवीर सिंह तंवर, कविता सामोता आदि मौजूद रहे।