नीमकाथाना/पाटन@जल, जंगल, जमीन व पर्यावरण पर विगत 3 दशकों से संघर्ष कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता एवं पीयूसीएल के कैलाश मीणा भराला ने आज अपने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि रेला माइनिंग जोन में अगर इसी तरह धूल धुआं उड़ती रही तो बहुत जल्दी रेला माइनिंग जॉन के पास बसे लोगों को सिलिकोसिस नामक भयंकर बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।
मीणा ने मुख्यमंत्री गहलोत को भी ज्ञापन भेजा है जिसमें लिखा है कि समय रहते अगर आपका ध्यान नीम का थाना तहसील के रेला माइनिंग जॉन की तरफ नहीं गया तो यहां के लोग अस्थमा, स्वांस के रोगी एवं सिलिकोसिस जैसी भयंकर बीमारियों में ग्रस्त हो जाएंगे एवं क्षेत्र के किसान पानी के लिए मोहताज हो जाएंगे। क्योंकि खनन माफियाओं ने रेला बांध को खुर्द बुर्द कर दिया है जिस कारण बांध में पानी ज्यादा दिनों तक नहीं रहता है।
बारिश के दौरान बांध में आने वाला पानी का रिसाव होकर खानों में भर जाता है जिसको खनन माफियाओं द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है, जो किसी के भी काम नहीं आता। ऐसी स्थिति में अगर खनन माफियाओं के लगाम नहीं लगी तो नीमकाथाना जो अपने आप में हरा भरा क्षेत्र है वह उजड जाएगा।
खदानों में भारी ब्लास्टिंग के कारण खदानों के पास बने मकानों मैं दरारे आ गई है एवं जंगलों में रहने वाले हिंसक जीव जंतु धमाकों के डर से जंगलों से निकलकर गांव की तरफ जान बचाने के लिए आ जाते हैं। हाल ही में स्थानीय प्रशासन जिसमें उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, माइनिंग विभाग, फॉरेस्ट विभाग, पर्यावरण विभाग ने ग्रामीणों की शिकायत पर रेला माइनिंग जॉन जाकर निरीक्षण भी किया था जहां ग्रामीणों ने भी स्थानीय प्रशासन को खूब खरी-खोटी सुनाई थी।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट भोपाल में ग्रामीणों ने एक याचिका भी लगाई है जिसकी 14 जून को सुनवाई भी होगी। बहरहाल इन दिनों रेला माइनिंग जोन से उड़ती हुई धूल मजबूरन लोगों को खानी पड़ रही है जिसके चलते लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।