नीमकाथाना नगरपालिका के तीन साल: योजनाओं में मिले 8.39 करोड़ में 1.45 ही खर्च कर पाए

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नीमकाथाना में विकास पर भारी रही सियासी खींचतान, विकास रुका, भाजपा-कांग्रेस ने बताया एक दूसरे को जिम्मेदार

श्रवण भारद्वाज:

नीमकाथाना :शहरी सरकार ने तीन साल पूरे कर लिए, लेकिन विकास को लेकर शुरू हुई सियासत रुक नहीं रही। यह सवाल विकास के लिए मिलने वाले बजट के विश्लेषण से सामने आया है। बीते तीन साल में पालिका प्रशासन आवंटित बजट का आधा भी खर्च नहीं कर पाया।

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शुरुआती दो सालों में विकास की दौड़ में पिछड़े भाजपा पार्षदों के वार्डों के हालात भी नहीं सुधरे हैं। विकास कार्यों के लिए बजट स्वीकृत कराने में आगे रहने वाले कांग्रेस पार्षद भी इस बार पिछड़ गए। स्वच्छ भारत मिशन, 14वें वित्त आयोग व राज्य वित्त आयोग में मिली राशि का उपयोग भी नहीं हो सका।

चालू वित्तीय वर्ष में भी कई पार्षद विकास कार्य स्वीकृत कराने में पिछड़ गए। शहरी पेयजल योजना के कारण अधिकांश वार्डों में सड़कें व नाले-नाली का निर्माण नहीं हो सका। इस साल अलग- अलग वार्डों में विकास के 67 कार्यों के टेंडर हुए हैं। इन पर काम चल रहा है। फिलहाल विकास कार्यों की रफ्तार रुकने के पीछे कांग्रेस-भाजपा नेता एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

पालिका में 17 करोड़ का बजट, फिर भी विकास ठप 

नपा में विपक्ष के नेता महेंद्र गोयल ने शहरी सरकार के तीन साल पूरे होने पर पालिकाध्यक्ष त्रिलोक दीवान पर विकास कर्य ठप करने के आरोप लगाए। गोयल ने कहा राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं में विकास कार्यों के लिए राशि दे रही है।

पालिका उसका उपयोग तक नहीं कर पा रही है। स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय निर्माण करानेवालों को पैसा नहीं मिल रहा है। नई स्वीकृतियां जारी नहीं हो रही। वर्तमान में नपा के पास 17 करोड़ का बजट शेष है। राज्य सरकार ने पांच सड़कों के निर्माण के लिए करीब चार करोड़ की मंजूरी दी है। छावनी इलाके को पूरी तरह उपेक्षित कर रखा है। पट्टों की दो हजार पांच सौ पत्रावलियां लंबित हैं।

पालिकाध्यक्ष चहेतों को एक महीने में पट्टा जारी करते हैं। पट्टों के लिए नपा में कोई प्रक्रिया नहीं है। पूरे शहर में सड़कें टूटी हुई हैं। पाइन लाइन डालने के बाद भी निर्माण नहीं करवाया जा रहा है। गोयल ने कहा कि पालिकाध्यक्ष दीवान राजनीतिक भेदभाव से काम कर रहे हैं।

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पालिकाध्यक्ष ने कहा- कार्यकाल संतुष्टिपूर्ण नहीं 

नपा अध्यक्ष त्रिलोक दीवान ने कहा कि तीन साल का कार्यकाल चुनौतीपूर्ण रहा। समस्याओं व संकटों का सामना कर अतिरिक्त स्टाफ की मदद सेस्थितियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया। इसके बावजूद वे अपने तीन साल के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। सड़कें, रोशनी, सफाई की स्थिति खराब है। सुधार के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सरकार मदद नहीं कर रहे हैं। दीवान ने कुछ उपलब्धियां बताई, वहीं विकास कार्य की रफ्तार रुकने पर सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

तीन साल में हुई नगर पालिका की 20 बैठक 

पालिका बोर्ड की तीन साल में 20 बोर्ड बैठकें हुई, लेकिन अधिकांश प्रस्तावों पर कार्रवाई नहीं हो सकी। 26 नवंबर 2014 को बोर्ड गठित होने के बाद विकास कार्यों की चुनौती थी। तीन सालों में पार्षदों से कई महत्वपूर्ण कार्यों के प्रस्ताव लिए, लेकिन फाइलों से बाहर नहीं आ सके।

पालिका बोर्ड की पहले व दूसरे साल आठ-आठ बैठकें हुई। तीसरे साल में मात्र चार बोर्ड बैठक हुई। बोर्ड व समितियों की लगातार बैठकों के बाद भी शहरी विकास को गति नहीं मिली।

बजट मिलने के बाद भी नहीं हो पाया नीमकाथाना पालिका क्षेत्र में विकास

वित्त आयोग में मिली राशि का 10 प्रतिशत भी खर्च नही पालिका को तीन सालों में 8.39 करोड़ का बजट विभिन्न योजनाओं के लिए मिला है। इनमें महज 1.45 करोड़ खर्च हो सका है। इस साल विकास के लिए 67 कार्यों के टेंडर जारी हुए हैं। इनमें कुछ पर काम चल रहा है।

सड़क, नाले-नाली व रोशनी को लेकर काम नहीं हुए। कांग्रेस पार्षद पर भी इसके लिए आवाज उठाने लगे हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत वित्तीय वर्ष 2015-16 में पालिका को 46.69 लाख, 2016-17 में 94.21 लाख, 2017-18 में अब तक 30.39 लाख मिले हैं।

तीन सालों में स्वच्छता अभियान में पालिका को 171.29 लाख मिले। पालिका द्वारा योजना में 67.19 लाख खर्च किए हैं। शौचालय निर्माण व सफाई को लेकर भी पार्षदों में नाराजगी है। शहरी सरकार को तीन सालों में विकास कार्यों के लिए 14वें व राज्य वित्त आयोग से 668 लाख रुपए मिले। सड़क, नाले-नाली, रोशनी, मरम्मत व सफाई पर पालिका 78.46 लाख खर्च कर सकी।

 14वें वित्त आयोग में वर्ष 2015-16 में 173 लाख एवं 2016-17 में 124 लाख मिले। पालिका इनमें महज 19.78 लाख खर्च कर सकी। राज्य वित्त आयोग में वर्ष 2015-16 में 228 लाख एवं वर्ष 2016-17 में 143 लाख मिले। विकास कार्यों पर पालिका मात्र 58.68 लाख खर्च कर सकी।

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 कहीं टेंडर का इंतजजार तो कहीं लेने हैं नीतिगत फैसले 

तीन साल पूरे होने पर भी शहरी सरकार में विकास की रफ्तार धीमी है। पालिका बोर्ड बैठक में फैसले होने के बाद भी प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ रहे हैं। कहीं टेंडर का इंतजार है तो कहीं नीतिगत फैसलों के कारण मामले अटके हुए हैं। नगरपालिका बोर्ड ने 10 फरवरी 2017 को विकास कार्यों के लिए पार्षदों को 15-15 लाख के वित्तीय अधिकार देने का फैसला किया, लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं हो सकी।

शुरुआती साल में बोर्ड ने इंदिरा कॉलोनी, नेहरू पार्क व संसद शहीद जेपी यादव पार्क का सौंदर्यकरण करने का फैसला किया। कुछ काम हुआ, लेकिन पार्कों का विकास नहीं हो सका। विकास कार्यों के टेडर होने के बाद भी कई जगह काम रुके हुए हैं।

तीस साल के कार्यकाल में बजट होने के बावजूद विकास कार्य रफ्तार नहीं पकड़ पाए। वजह कुछ भी रही हो, लेकिन शहर का विकास इतना नहीं हो पाया, जितनी लोगों को उम्मीद थी।

Source- Neemkathana Bhaskar

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